मैं उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ,
मैं भू-कानून मांग रहा हूँ।
मैं उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ,
भू- कानून माग रहा हूँ।
मेरे अपनों से से ही वजूद है मेरा,
करता हूँ मैं उनकी न्याय की बात,
माँगता हूँ मैं भू- कानून इस बार।
मैं उतराखण्ड बोलू रहा हूँ ,
मैं भू- कानून माँग रहा हूँ।
बहुत हुआ मेरे अपनों पे अत्याचार,
करता हूँ मैं उनकी हक की बात।
न करो मुझे अपनों से दूर,
बहुत हुई भू- कानून की भूल।
मैं उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ,
मैं भू-कानून माँग रहा हूँ।
मैं खाली हो रहा हूँ,
मेरे अपने मेरे से. दूर हो रहे।
बाहरी दुनिया यहाँ आके बस रहे है,
मेरे अपनों पे सड़क पर दंडे बरस रहे है ,
मैं अपनों का आँसू बिश जैसे पिके सिमट रहा हूँ।
मैं उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ,
मैं भू-कानूनं मांग रहा हूँ।
बहुत हुआ मेरे लिए राजनीति का खेल,
मेरे हक के लिए मेरे अपने ही जा रहे है जेल।
बिक गए सब नेता ,
राजनीति के खेल खेल में।
बाहरी दुनिया रह रही है,
मेरे अपनो को किरायेदार बनाकर।
उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ
मैं भू- कानून मांग रहा हूँ।
Written by Suraj Bhatt